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कोरोना पर संवाद
यह संवाद कोरोना महामारी के बीच दो मित्रों के बीच हो रही। पहले मित्र का नाम आदित्य है तथा दूसरे मित्र का नाम अमन है।
आदित्य - अरे! अमन। तुम यहाँ कैसे और घर पर सभी लोग कैसे हैं?
अमन - मैं ठीक हूं और घर पर भी सभी लोग अच्छे हैं। अपना बताओ, तुम कैसे हो?
आदित्य - मैं भी ठीक हूँ। आजकल दिखाई नहीं देते, कोई खास वज़ह है क्या?
अमन - अरे! ऐसी बात नहीं है। तुम तो जानते ही हो, इस कोरोना महामारी के कारण हर जगह लाकडाउन लगा हुआ है। घर से बाहर निकालना भी मुश्किल हो गया है। हर तरफ़ बस इसी महामारी पर चर्चा। ये तो कुछ जरूरी समान लेना था इसलिए चला आया।
आदित्य - बात तो तुम ठीक कह रहे हो। बिना मास्क के घूमने से भी यह महामारी बहुत तेज़ी से फैल रही हैं। तुम अपना और अपने परिवार के लोगों का खास ख़याल रखो। यह संकट की घड़ी में हमें एकजुट होकर इस लड़ाई को लड़ना होगा। अब मेरे घर जाने का वक्त हो रहा। माँ इन्तेज़ार कर रही होंगी।
अमन - हाँ तुम सही कह रहे। ठीक है अब मुझे भी देर हो रही। मुझे अब चलना होगा, अपना खयाल रखना। हम जल्दी ही मिलेंगे।
आदित्य - हाँ! आशा करता हूँ की हम जल्दी ही मिलेंगे। और फिर से वही माहौल में जिएंगे।
*संवाद समाप्त होते हुए*